आज सोना-चांदी के दामों में भारी गिरावट देखने को मिली है, जिससे निवेशक और खरीदार दोनों ही चौंक गए हैं। बीते कुछ हफ्तों में लगातार बढ़ने के बाद अब सोने-चांदी की कीमतों में तेज सुधार या ‘प्रॉफिट बुकिंग’ का दौर चल रहा है। यह गिरावट घरेलू बाजार में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखी जा रही है, खासकर क्योंकि दीपावली के बाद आमतौर पर कीमतों में स्थिरता की उम्मीद की जाती है।
गौरतलब है कि इस साल की शुरुआत से ही सोना और चांदी दोनों में record बढ़त देखने को मिली थी। हालांकि अब अंतरराष्ट्रीय बाजार की हलचल, डॉलर की मजबूती और निवेशकों के मुनाफावसूली के चलते इनकी कीमतें नीचे जा रही हैं। यही वजह है कि आज कई प्रमुख शहरों में सोने और चांदी, दोनों के रेट में भारी गिरावट दर्ज हुई है।
25 अक्टूबर 2025 को भारत में सोने की कीमतों में तेज गिरावट दर्ज हुई। ABP Live के अनुसार, आज 24 कैरेट सोने की दर ₹1,35,413 प्रति 10 ग्राम रही जबकि 22 कैरेट सोना ₹1,24,752 प्रति 10 ग्राम पर आ गया है। वहीं 18 कैरेट सोना ₹1,02,070 प्रति 10 ग्राम बिक रहा है । यह कीमतें हालिया उच्चतम स्तर से लगभग ₹1,000 प्रति 10 ग्राम कम हैं।
वहीं चांदी के दामों में भी बड़ी गिरावट आई है। फिलहाल भारत में 1 किलो चांदी की कीमत ₹1,59,926 प्रति किलोग्राम दर्ज की गई है । कुछ शहरों में दरें अलग-अलग हैं — दिल्ली में यह ₹1,59,926, मुंबई में ₹1,59,461 और चेन्नई में ₹1,52,642 प्रति किलो तक है। इस तरह चांदी में पिछले एक सप्ताह में औसतन ₹3,000 से ₹5,000 प्रति किलो तक की गिरावट देखी गई है।
गिरावट के प्रमुख कारण
सोना-चांदी की मौजूदा गिरावट के पीछे कई कारण हैं। पहला कारण है – प्रॉफिट बुकिंग, क्योंकि पिछले दो महीनों में सोने में लगभग 60% और चांदी में 70% तक की वृद्धि दर्ज हुई थी । निवेशक अब अपने मुनाफे को सुरक्षित करने के लिए बिक्री कर रहे हैं।
दूसरा प्रमुख कारण है डॉलर की मजबूती और अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की बैठक। विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका में ब्याज दरों को स्थिर या बढ़ाने के संकेत से सोना-चांदी पर दबाव बढ़ा है। चूंकि निवेशक इन धातुओं को सुरक्षित निवेश मानते हैं, डॉलर के मजबूत होने पर उनकी मांग घट जाती है, जिससे वैश्विक स्तर पर कीमतें गिरती हैं।
तीसरा कारण माना जा रहा है सीजनल डिमांड में कमी। दीपावली और धनतेरस के बाद आमतौर पर गहनों की खरीदारी में कमी आती है। इस समय शादियों का सीजन भी अभी दूरी पर है, जिससे ज्वेलर्स की मांग घट जाती है और दामों में सुधार आता है।
क्या सरकारी या अन्य समर्थन योजनाएं हैं?
सोना और चांदी की कीमतें सीधे किसी सरकारी योजना से निर्धारित नहीं होतीं, लेकिन सरकार इसका व्यापार और आयात नियमन करती है। वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक भारत में सोने के आयात शुल्क और निवेश नीतियों में बदलाव करके अप्रत्यक्ष रूप से दामों को प्रभावित करते हैं।
सरकार सोवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम (SGB) जैसी योजनाओं के माध्यम से लोगों को भौतिक सोना खरीदने की बजाय निवेश विकल्प प्रदान करती है। यह योजना रिजर्व बैंक के माध्यम से चलाई जाती है और इसमें निवेशक सोना खरीदने के बदले ब्याज और मूल्य वृद्धि का लाभ पाते हैं। इसका उद्देश्य भौतिक सोने की मांग को कम करना और मूल्य स्थिरता बनाए रखना है।
निवेशकों के लिए क्या करना उचित रहेगा?
वर्तमान गिरावट को कई विशेषज्ञ ‘टेक्निकल करेक्शन’ के रूप में देख रहे हैं, यानी यह लंबी अवधि की गिरावट नहीं बल्कि अस्थायी सुधार है। जिन निवेशकों का लक्ष्य दीर्घकालिक है, वे इस समय सोना-चांदी में निवेश पर विचार कर सकते हैं। वहीं अल्पकालिक निवेशक सावधानी बरतें, क्योंकि अगले हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिज़र्व के फैसले और डॉलर इंडेक्स की दिशा इस बाज़ार को फिर प्रभावित कर सकती है।
भारत में पारंपरिक रूप से सोना और चांदी दोनों ही सुरक्षित निवेश माने जाते हैं। त्योहारों या शादी के सीजन में मांग एक बार फिर बढ़ सकती है, जिससे कीमतों में सुधार संभव है। हालांकि विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि निवेशकों को भावनात्मक निर्णय न लेकर धीरे-धीरे खरीदारी करनी चाहिए, जिससे जोखिम कम हो सके।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, आज सोना और चांदी दोनों में तेज गिरावट दर्ज की गई है। सोना लगभग ₹1,000 प्रति 10 ग्राम और चांदी करीब ₹3,000 से ₹5,000 प्रति किलो तक सस्ती हुई है। यह गिरावट फिलहाल अस्थायी मानी जा रही है और निवेशकों के लिए यह एक अवसर भी बन सकती है। यदि आप दीर्घकालिक निवेशक हैं तो यह समय सोने-चांदी में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में निवेश शुरू करने का सही हो सकता है, क्योंकि आने वाले महीनों में कीमतों में फिर वृद्धि की संभावना है।